देश के अलग-अलग राज्यों में अलग टाइम पर आएगा कोरोना का चरम: विशेषज्ञ टीम ने कहा

देश के अलग-अलग राज्यों में अलग टाइम पर आएगा कोरोना का चरम: विशेषज्ञ टीम ने कहा

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस महामारी के तौर पर पुरे विश्व में फैल चुका है। इसकी वजह से अब तक तकरीबन सभी देश परेशान हैं। वही हाल भारत का भी है। भारत में भी इसके मरीजों की संख्या ढ़ाई लाख के पार पहुंच गया है और अबतक करीब 7200 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं इसके खतरे को देखते हुए 15वें वित्त आयोग की ओर से स्वास्थ्य पर गठित एक पैनल ने एक चौकाने वाली बात कही है। दरअसल उनका मानना है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में कोविड-19 महामारी अलग-अलग समय में पीक पर पहुंचेगा। वहीं आयोग ने अलग-अलग समय पर पीक की संभावना जताते हुए राज्यों के बीच संसाधनों के आदान-प्रदान की सलाह भी राज्यों की सरकारों को दी है। इस सलाह का उद्देश्य ये है कि हेल्थ इन्फ्रास्ट्रैक्चर का बेहतर इस्तेमाल मरीजों के लिए हो सके।

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हाई-लेवल ग्रुप के कन्वीनर और एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने ऐसे मैकेनिजम की आवश्यकता पर बल दिया है ताकि मैनपावर और उपकरणों को जरूरत पड़ने पर एक से दूसरे राज्य में ले जाया जा सके।  पैनल ने कहा है कि अलग-अलग राज्यों में महामारी की रफ्तार अलग है। महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, बंगाल और दिल्ली में सर्वाधिक केस हैं। हालांकि, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और केरल में कर्व कुछ सपाट हुआ है। हालांकि, केस अभी भी बढ़ रहे हैं। देश में मई 14-18 के बीच संक्रमण का प्रतिदिन ग्रोथ रेट औसतन 5.1% रहा है। 

इंडियन मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि मृत्यु दर को 5 पर्सेंट से नीचे रखना बेहद महत्वूर्ण है। उन्होंने इस बात को लेकर चेताया कि मृतकों की संख्या प्रतिदिन 1000-2000 तक ना पहुंचे। 

आईसीएमआर ने यह भी कहा है कि 'ट्रैक, ट्रेस और ट्रीट' की मौजूदा रणनीति ने महाराष्ट्र और गुजरात को छोड़कर अन्य जगहों पर अच्छा काम किया है। हाई लेवल ग्रुप ने पिछले महीने बेहद कम अवधि, कम अवधि और मध्यम अवधि के लिए उपाय सुझाए हैं।

बेहद कम अवधि के अपाय में रैपिड टेस्टिंग, सर्विलांस, कंटेनमेंट, सस्ती दवाओं की आपूर्ति, रूरल मोबाइल हेल्थ यूनिट और वेंटिलेटर्स, पीपीई किट, मास्क, ऑक्सिजन आदि की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा है। 

शॉर्ट टर्म उपायों में हेल्थ सेक्टर के लिए आउटब्रेक मैनेजमेंट प्लान और वैक्सीन डिवेपमेंट के लिए वित्त उपलब्ध कराने का सुझाव दिया है। पैन ने हेल्थ में निवेस बढ़ाने, हेल्थ वर्कफोर्स की कमी को दूर करने और बचे हुए 60 फीसदी आबादी को आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने की संभावना पर विचार और इंडियन सिविल सर्विस की तर्ज पर ऑल इंडिया मेडिकल सर्विस के गठन का सुझाव दिया है।

 

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